मेरा दोस्त महेश बोलता है की मैं तो एक दम कभी कभी लावारिश महसूस करता हु यार कोई फ़ोन नही करता न पापा न मम्मी, अबे दीदी भी फ़ोन नहीं करती, अबे दीदी से क्या भैया का तो चलो समझ में आता है दीदी का क्या उनसे क्या झगड़ा,
दीदी तो यार एक ही होती है उनका क्या...
लेकिन जो है सो है
साला एक बात बोलता है की दोस्त ये ऐसा समय है जहां पे तुम्हारा कोई साथ नही देता है और मैं सोचता हु की इस वक़्त में जो बंदा साथ देगा वही असली है समझ लो वही तेरा सबसे करीबी है
मैं बोला क्यों मैं नही हूं बोला साले तेरी बात नही कर रहा तेरी जगह तो कही और है....।